बेअदबी पर कदम उठायें, मॉब लिंचिंग पर मौन रहें?

Golden Temple (Swarn Mandir)

हाल ही में 24 घंटे के भीतर पंजाब में दो लोगों की बेअदबी से जुड़े मामलों में भीड़ द्वारा हत्या कर दी गयी. तमाम नेताओं, लोगों ने इस बेअदबी की कड़ी निंदा की और सरकार से सख्त से सख्त कानून और सज़ा की मांग की. मगर सवाल ये है की जब अपराध दो हुए तो सज़ा और चर्चा सिर्फ एक ही अपराध की क्यों? बेअदबी पर कदम उठाये जाने की मांग तो मॉब लिंचिंग पर आखिर मौन क्यों है?

18 दिसम्बर को अमृतसर के गोल्डन टेम्पल/ स्वर्ण मंदिर में बेअदबी/ अपमान का मामला सामने आया था. सिखों के पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रन्थ साहिब का अपमान वो भी तब जब पाठ का लाइव प्रसारण हो रहा था. किसी भी धार्मिक किताब, वस्तु या धर्म का अपमान घोर निंदनीय है. इसकी सज़ा कड़ी से कड़ी होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा किसी भी धर्म के साथ करने की कोशिश न करे. शायद इसी को ध्यान में रखते हुए भीड़ ने बेअदबी की सज़ा खुद देने का निश्चय किया और उस युवक की पीट- पीट कर हत्या कर दी. ज्ञात हो किसी भी धार्मिक किताब की बेअदबी मामले में कारावास का प्रावधान पंजाब में है.

इस बेअदबी/ हत्या मामले में नेताओं को सिर्फ बेअदबी के बारे में बोलते हुए, उस पर एक्शन लेने, कड़े कानून बनाने की मांग करते हुए देखा गया, मगर भीड़ द्वारा की गयी इन हत्याओं पर किसी ने भी संज्ञान लेना ज़रूरी नहीं समझा. ये जानते हुए भी की मॉब लिंचिंग गैर कानूनी है पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने भीड़ द्वारा किये गये इस अपराध को जायज करार करते हुए कहा की ‘लोगों ने भावनाओं में आ कर ऐसा किया’.

गौरतलब है वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग को ‘भीड़तंत्र के एक भयावह कृत्य’ के रूप में संबोधित किया था और कहा था की हर नागरिक की रक्षा करना सरकार का कर्त्तव्य है. हर नागरिक को जीवन का अधिकार मिला हुआ है और कानून द्वारा स्थापित प्रतिक्रिया के बिना किसी का जीवन छीना नहीं जा सकता.

वही अब बात 19 दिसम्बर की करें तो गुरुद्वारा जिसका मतलब निकलता है गुरु का घर. गुरुद्वारा जो लंगर के लिए दुनियाभर में मशहूर है. कपूरथला के एक गुरूद्वारे में एक मानसिक विक्षिप्त शख्स को, जो पुलिस के मुताबिक चोरी के इरादे से गुरूद्वारे में घुसा था, अपनी भूख मिटाने के लिए लंगर से जिसने रोटी उठाई थी उसको मार डाला गया. उस पर आरोप था की उसने निशान साहिब की बेअदबी की. ‘अक्सर बेअदबी करने वाले मानसिक विक्षिप्त कहकर आसानी से छूट जाते हैं मगर इस बार ऐसा नहीं होगा’, कह कर लोगों ने उसे भी मार डाला.

उन्होंने ये भी सोचना ज़रूरी नहीं समझा की अगर मामला बेअदबी का है तो गुरुद्वारा इंचार्ज सोशल मीडिया पर लाइव आ कर लोगों को खुद हथियार लाने, भीढ़ इकठ्ठा करने और उसे मरने के लिए क्यों कह रहे हैं? उन्होंने ये भी सोचना ज़रूरी नहीं समझा की पुलिस की मौजूदगी में भी आखिर कैसे एक शख्स को पीटा जा रहा है.

आखिर कब तक अनियंत्रित भीड़ करती रहेगी न्याय के नाम पर अन्याय?

सोचिये, जिस भीड़ का कोई चेहरा ही नहीं, जिसके किये गये अपराध की कोई सज़ा निर्धारित नहीं उसकी आड़ में अपराध करना कितना आसान है. कुछ भी अफवाह उडाओं, भीड़ भड़काओ और अपना मकसद पूरा करो. बहुत ही आसान है भीड़ को भड़काना और उसमें भी सबसे ज्यादा आसान है भीड़ को धर्म के नाम पर भड़काना.

देश में मॉब लिंचिंग कोई नयी समस्या नहीं है बल्कि ये एक समय के साथ लगातार बढती जा रही समस्या है. कभी धर्म के नाम पर, कभी चोरी तो कभी छेड़-छाड़ के नाम पर लोग कानून को हाथ में ले लेते हैं. ये वही लोग है जो बिना कुछ सोचे समझे किसी की भी बातों में आसानी से आ जाते है.

मॉब लिंचिंग यानी भीढ़ के द्वारा किसी को उसके किये गये अपराध या सिर्फ अफवाहों के आधार पर तत्काल सज़ा देना और उसकी पीट- पीट कर हत्या कर देना, जी हाँ किसी की भी. वो कोई भी हो सकता है क्योंकि जिस तरह के मामले पिछले कई सालों से सामने आ रहे हैं उनमें काफी मामलों में जिनकी पीट- पीट कर हत्या की गयी उनकी मौत के बाद पता चला की वो अपराधी थे ही नहीं बल्कि मात्र अफवाहों के आधार पर उनकी हत्या कर दी गयी.

2018 में मॉब लिंचिंग के एक केस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मॉब लिंचिंग के लिए ज़रूरी कदम उठाने के दिशा निर्देश दिए थे जिसके बावजूद हमारे देश में अब तक सिर्फ 4 राज्यों ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून लाये हैं जिनमें पहले नंबर पर मणिपुर, दुसरे पर राजस्थान, तीसरे पर पश्चिम बंगाल और चौथे पर झारखण्ड है.

शर्म की बात है की लोग धर्म के नाम पर अधर्म करते जा रहे हैं. पूरे देश में अब शायद ऐसा कोई धर्म नहीं बचा जिसके नाम पर लोगो को उकसाया न गया हो और उकसाई भीढ़ द्वारा मोब लिंचिंग जैसे अपराध को अंजाम न दिया गया हो.

मॉब लिंचिंग का हिस्सा न बनें, लोगों को जागरूक करें!

मॉब लिंचिंग का हिस्सा न बनें, लोगों को जागरूक करें.

  • हर धर्म की इज्ज़त करें.
  • पुलिस और कानून पर विश्वास बनाये रखें. कानून को अपने हाथ में लेने से बचे और न ही किसी और को लेने दें.
  • सोशल मीडिया आज के टाइम पर एक मुख्य साधन बन चुका है अफवाहें फ़ैलाने और भीड़ इक्कठी करने का. एक रिसर्च के अनुसार 40% पढ़े- लिखे युवा खबर की सच्चाई परखे बिना उसे आगे शेयर कर देते हैं. इसलिए मॉब लिंचिंग को रोकने में आप एक अहम भूमिका निभाएं, खबर पूरी तरह पढ़े, जांचे- परखे तभी आगे फॉरवर्ड करें. मॉब लिंचिंग रोकने के लिए जितनी ज़रूरत कड़े कानूनों की है उतनी ही ज्यादा ज़रूरत जागरूकता की भी है.
  • अगर मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अभी कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी गयी या उचित कानूनी कार्यवाही नहीं की गयी तो इससे लोगों को धर्म के नाम पर भड़काने वालों को और बढ़ावा मिलेगा. जिससे मॉब लिंचिंग के मामले बढ़ते ही जायेंगे. जिसका फायदा समाज में अशांति फ़ैलाने वाले तत्वों को मिलेगा.

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