Burnout in Hindi: बर्न आउट क्या है, जानिये कैसे खोयी हुई एनर्जी और मोटिवेशन वापस लायें और प्रोडक्टिविटी बढ़ाएं। 

Burnout in Hindi: क्या ऑफिस के तनाव का असर आपकी प्रोडक्टिविटी और रिश्तों पर पड़ने लगा है? क्या बहुत कोशिश करने के बाद भी आपका काम में मन नहीं लग रहा है, हर वक़्त थकान रहती है? मोटिवेशन की कमी महसूस होती है? अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो यह Burnout हो सकता है।

Burnout In Hindi

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, बर्न आउट एक सिंड्रोम है जो ऑफिस के काम से सम्बंधित किसी पुराने स्ट्रेस को सफलतापूर्वक मैनेज न किये जाने के कारण होता है। इसमें एनर्जी घटने और थकान बढ़ने का एहसास होता है। काम करने में मन नहीं लगता और काम को लेकर नकारात्मक सोच हो जाती है। बर्न आउट के कारण आपकी कार्यक्षमता में कमी आती है। इससे आपका इम्यून सिस्टम भी कमज़ोर हो जाता है जिसके कारण आप बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं। 

बर्न आउट आपके जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसलिए इसके बारे में जानना आपके लिए आवश्यक है। इस लेख में मैंने आपको बर्न आउट से सम्बंधित जानकारी जैसे बर्न आउट क्या है, क्यों होता है, इसके लक्षण क्या है और बर्न आउट से बचाव कैसे कर सकते हैं, के बारे में बताया है। बर्न आउट का इलाज करके आप अपने काम के प्रति फिर से सकारत्मक महसूस करने लगेंगे जिससे आपकी प्रोडक्टिविटी, हेल्थ और एनर्जी में सुधार आएगा।  

बर्न आउट क्या है?

बर्न आउट एक मेंटल सिंड्रोम है जिसमें लंबे समय तक काम का बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने के कारण इमोशनली, फिजिकली और मेंटली थकान महसूस होती है, जिससे काम करने की क्षमता कम हो जाती है। इसमें आप कार्यस्थल पर बढ़ती मांगों को पूरा करने में असमर्थ महसूस करने लगते हैं और उस काम में अपना इंटरेस्ट और मोटिवेशन खोने लगते हैं। बर्न आउट की स्थिति में आप बहुत काम करने के बाद भी ऐसा महसूस करते हैं कि जो भी आपने किया वह काफी नहीं है।

बर्न आउट सिंड्रोम यूँ तो व्यावसयिक जीवन के स्ट्रेस से सम्बंधित है लेकिन इसका बुरा प्रभाव आपके निजी जीवन और सामाजिक जीवन पर भी पड़ता है। Burnout में आप असहाय, निराशापूर्ण, उदास महसूस करने लगते हैं और नकारात्मक हो जाते हैं। इससे आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और आप बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं, बर्न आउट में सर्दी-जुखाम, फ्लू और अनिद्रा की समस्या होना आम है।

बर्न आउट के लक्षण (Burnout Symptoms)

  • थकान 
  • खालीपन 
  • चिड़चिड़ाहट
  • काम में फोकस न कर पाना
  • आत्म-संदेह
  • बार-बार सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द 
  • लगातार बीमार पड़ना 
  • सोने-खाने की आदत में बदलाव
  • असंतोष 
  • मोटिवेशन में कमी आना 
  • असहाय, असफल और फंसा हुआ महसूस होना
  • नकारात्मक नजरिया 
  • अकेलापन
  • ज़िम्मेदारी से बचना 
  • अच्छा महसूस करने के लिए नशीले पदार्थों, शराब या जंक फ़ूड का उपयोग करना
  • अलगाव (खुद को अकेला कर लेना) 
  • काम करने में ज्यादा समय लगाना       
  • काम छोड़ देना या काम पर देर से आना और जल्दी चले जाना। 

Burnout Syndrome रातोंरात नहीं होता, यह समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं लेकिन ध्यान न देने पर ये बदतर हो जाते हैं। इसलिए अगर आप वक़्त रहते इन लक्षणों पर ध्यान देते हैं और अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए ज़रूरी कदम समय पर उठा लेते हैं तो ऐसा करके आप खुद को एक मेजर ब्रेकडाउन या असफलता से बचा सकते हैं। 

बर्न आउट के कारण

  • सराहना की कमी 
  • नौकरी से अधिक उम्मीदें 
  • काम का नीरस या चुनौतिपुर्ण होना।
  • हाई प्रेशर में काम करना
  • बहुत अधिक काम करना 
  • रिश्तों और आराम के लिए समय न होना। 
  • सपोर्ट की कमी। 
  • अत्यधिक जिम्मेदारियां लेना 
  • पर्याप्त नींद न लेना। 
  • परफेक्शन की चाह रखना, जिससे कभी भी कुछ भी सही न लगे।
  • अपने काम पर बहुत कम या न के बराबर नियंत्रण महसूस होना।  
  • नकारात्मक नजरिया 
  • नियंत्रण में रहने की इच्छा, दूसरों को काम या ज़िम्मेदारी न सौंपना।

बर्न आउट से बचाव के तरीके:

अक्सर बर्न आउट तब होता है जब काम से सम्बंधित किसी तरह के बढ़ते तनाव को सही समय पर, सही ढंग से नियंत्रित नहीं किया जाता है। इसलिए बर्न आउट से बचने के लिए तनाव का वक़्त रहते इलाज किया जाना ज़रूरी है। आगे आपको इसके लिए कुछ तरीके बताये गये हैं।

Burnout Treatment In Hindi
  • खुल कर बात करें

जिनसे भी बात करने में आप कम्फर्ट महसूस करते हैं, विश्वास करते हैं उनसे अपनी परेशानी के बारे में बेझिझक बात करें। आप काउंसलर की मदद भी ले सकते हैं। क्योंकि जब आप तनाव में होते हैं तब सब कुछ खुद से सोल्व करना मुश्किल लगता है। ऐसे में अगर आप दूसरों से सपोर्ट लेते हैं, उन्हें अपनी प्रॉब्लम के बारे में खुल कर बताते है तो वह इसमें आपकी सहायता कर सकते हैं। आपकी बात सुनकर और समझकर आपको अच्छा और हल्का महसूस करवा सकते हैं। इससे आपको अपनी मुश्किल का समाधान निकालने में आसानी होगी।     

  • दूसरों की मदद करें 

दूसरों की मदद करने के कई लाभ हैं। पहला, आपको अच्छा महसूस होता है कि आपकी वजह से किसी के चेहरे पर मुस्कान आई। दूसरा, आप अपनी मर्ज़ी से जिसकी भी जितनी चाहे उतनी मदद अपने तरीके से कर सकते हैं। तीसरा, जब-जब आप दूसरों की मदद करेंगे तब-तब आपको अपनी एहमियत का एहसास होगा। आपका होना कितना ज़रूरी है ये बात का एहसास अगर आपको है तो आप कभी भी मेहनत करने से नहीं घबराएंगे और इसी से आपको प्रेरणा भी मिलेगी। 

  • अपने पसंद की नौकरी करें 

जीवन में बर्न आउट से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने पसंद के करियर और जॉब का चुनाव करें। अपनी पसंद का काम करने से आपको हमेशा कुछ नया करने की प्रेरणा अपने अन्दर से ही मिलती रहेगी। 

  • अपने काम की एहमियत को समझें

जब आप अपने काम की एहमियत समझेंगे तब आपको अपनी ज़रूरत का एहसास होगा। इसलिए इस पर विचार करें कि आपके काम करने से किस-किस को फायदा होता है। अपनी नौकरी में आपको क्या करना पसंद है इसके बारे में भी सोचें, इससे आपको हर दिन काम पर जाने का मोटिवेशन मिलेगा। 

  • सहकर्मियों से दोस्ती करें 

Colleague अगर दोस्त हो तो उसके होने से वातावरण थोड़ा हल्का रहता है, हंसी-मजाक का माहौल रहता है। आप दोनों एक दूसरे से अपनी मुश्किलें शेयर कर सकते हैं, सलूशन निकाल सकते हैं। काम पर साथी के होने से एक हिम्मत रहती है और अकेलेपन का एहसास भी नहीं होता।   

  • काम से ब्रेक लें

अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण लोगों और काम को प्रायोरिटी दें। अपने लक्ष्य, सपनों और आशाओं को हमेशा याद रखें। काम के साथ ब्रेक भी बेहद ज़रूरी है इसलिए नॉन-स्टॉप काम करने की बजाये ब्रेक लेकर काम करें।  

आप अपने काम से कुछ दिनों के लिए ब्रेक ले सकते हैं और वो काम कर सकते हैं जो आपको पसंद है। इससे आप खुद के लिए टाइम निकाल पाएंगे, काम से कुछ दिनों की छुट्टी से आपको स्ट्रेस से मुक्ति मिलेगी और उसका समाधान निकालने का तरीका भी आपको मिल सकता है। 

  • खुद को फ़ोर्स न करें 

अपने आपको ज्यादा काम के लिए फ़ोर्स न करें, एक समय-सीमा तय करें। उसमें जितना काम हो रहा है उतना ही करें या फिर जब मन हो तब करें। ज़बरदस्ती करने से काम नहीं बनते और बर्न आउट जैसी समस्या पैदा हो जाती है। याद रखें, रोज़ अभ्यास करने से आपको सफलता अवश्य मिलेगी। (Practice makes a man perfect) 

  • टेक्नोलॉजी से भी ब्रेक लें 

दिन में कुछ टाइम अपने लिए निकालें और उसमें लैपटॉप, टीवी, फ़ोन, आदि का प्रयोग न करें। यह समय प्रकृति या अपने करीबियों के साथ बिताएं। टेक्नोलॉजी से दूरी बनायेंगे तो आपके मन में क्रिएटिव विचार आयेंगे, और काफी कुछ नया करने का समय भी आपको मिलेगा। 

  • क्रिएटिव काम करें 

कुछ ऐसे काम जिसका आपके प्रोफेशन से कोई लेना-देना न हो या जिस काम की वजह से आपको टेंशन हो रही हो उस काम के बजाये वो काम करें जो आपको पसंद हैं, अपनी हॉबी को अपनाएं। क्रिएटिव रहने से आपको बेहतर महसूस होगा। आप क्या-क्या कर सकते हैं इसका एहसास होगा। 

  • अच्छी नींद लें 

अच्छी नींद (6-8 घंटे) लेना बहुत ज़रूरी है। इससे तन-मन को शान्ति और आराम मिलता है और सोकर उठने पर फ्रेश महसूस होता है। 

  • व्यायाम को प्राथमिकता दें 

आपको दिन में कम से कम 30 मिनट व्यायाम करना चाहिए और इसमें Stretching Exercise, योग और मैडिटेशन को भी शामिल करना चाहिए। आप चलने, दौड़ने, तैरने, डांस करने, जैसी एक्टिविटी भी कर सकते हैं। इससे आपका मूड अच्छा होगा, एनर्जी बढ़ेगी, ध्यान देने की क्षमता बढ़ेगी, आपका तन और मन रिलैक्स फील करेगा।

  • चिंता से ध्यान हटायें, खुद पर गौर फरमाएं 

चिंता के विचारों पर विचार करने के बजाये कुछ समय आपका शरीर क्या कह रहा है ये सुनने का प्रयास करें। खुद का चिंता से ध्यान भटकाने का यह एक अच्छा तरीका है। आपके शरीर में सांस लेते समय क्या हलचल होती है, चलते वक़्त पैर कैसे काम करते हैं या जब हवा आपको छूती है तब कैसा लगता है, आदि पर गौर करें। इससे आपका कंसंट्रेशन बढ़ेगा, और आप अपने रिएक्शन कंट्रोल भी कर पाएंगे।  

  • बैलेंस डाइट लें 

आपके खाना का असर आपके मूड पर होता है, इसलिए हमेशा ऐसा खाना खाने की कोशिश करें जिससे आपको एनर्जी मिलें। इसके लिए आपको ओमेगा-3 फैटी एसिड्स वाला खाना अधिक खाना चाहिए, इससे आपका मूड अच्छा होता है। साथ ही, आपको कैफीन, सैचुरेटेड फैट, प्रिज़र्वेटिव वाले खाने-पीने की चीज़ों से परहेज करना चाहिए। निकोटीन और अल्कोहल के सेवन से भी एंग्जायटी बढ़ती है इसलिए इन्हें भी अवॉयड करना चाहिए। 

स्ट्रेस और बर्न आउट में अंतर

आपको बर्न आउट के बिना स्ट्रेस हो सकता है लेकिन स्ट्रेस के बिना बर्न आउट नहीं हो सकता। आइये विस्तार से जानते हैं स्ट्रेस और बर्न आउट के बीच का अंतर। 

स्ट्रेसबर्न आउट
स्ट्रेस में आपको एक उम्मीद होती है कि आप हालात पर काबू पा सकते हैं।बर्न आउट में आप उम्मीद खो देते हैं और निराशा से भर जाते हैं।
इसमें आपको एनर्जी की कमी महसूस होती है।इसमें मोटिवेशन और उम्मीद की कमी होती है।
इसका असर सबसे पहला शारीर पर दिखता है।इसका असर सबसे पहले आपके इमोशन पर दिखता है।
इसमें आप चिंतित और बेचैन रहते हैं।इसमें आप उदास रहते हैं और स्वभाव से रूखे हो जाते हैं।
इसमें नींद न आने की समस्या होती है।इसमें किसी-किसी को अनिद्रा होती है और किसी को बहुत नींद आती है लेकिन सो कर उठने के बाद भी ताज़ा महसूस नहीं होता है।
इससे एंग्जायटी डिसऑर्डर हो सकते हैं।इससे अलगाव और डिप्रेशन हो सकता है।

Conclusion

दोस्तों, Burn Outs से पीड़ित लोगों को अक्सर ऐसा लगता है कि काम से ब्रेक लेने से या खुद की सेहत पर ध्यान देने से वो कमज़ोर बन जायेंगे, ऐसे लोगों को लगता है कि बर्न आउट से बचने और उभरने का सबसे अच्छा तरीका है कड़ी मेहनत करना। जबकि यह बिलकुल सही नहीं है। अगर सही समय पर बर्न आउट का इलाज (Burnout Treatment) न किया जाए तो इससे व्यक्ति डिप्रेशन जैसी गंभीर मेंटल प्रॉब्लम का भी शिकार हो सकता है। 

इसलिए अब जब आप इसके बारे में जान गये हैं तो बर्न आउट से घबराये नहीं, इसको पहचाने, इसका सामना करें और अपने काम करने की उर्जा और अपने पॉजिटिव विचारों को एक बार फिर से हासिल करें। और जो लोग बर्न आउट की समस्या से अनजान है या जो लोग काम को लेकर अक्सर चिंतित रहते हैं उनके साथ बर्न आउट की जानकारी ज़रूर साझा करें।         

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