अक्सर जो लोग खुद से दुखी रहते हैं, परेशान रहते हैं उनको खुद से प्यार (self- love) करने की सलाह दी जाती है. पर आखिर ये self- love करना क्या वाकई ज़रूरी है? पहले के टाइम में तो कभी खुद से प्यार के बारे में नहीं सुना था फिर अब इसकी इतनी चर्चा क्यों?
सबसे पहले जानते हैं खुद से प्यार करने का मतलब क्या होता है. इसी से पता लगाते हैं की क्या आप खुद से प्यार करते हो या फिर आपको भी ये करने की ज़रूरत है या नहीं?
जो लोग खुद से प्यार करते हैं वो खुद के सबसे अच्छे साथी होते हैं. वो खुद को अच्छी तरह से समझते हैं, अपनी क्षमताओं को जानते हैं और खुद को अपनी कमियों और खूबियों के साथ अपनाते हैं. जो लोग खुद से प्यार करते हैं वो बीमार भी कम पड़ते हैं क्योंकि वो खुद की बहुत अच्छे से देख-भाल करते हैं. उनका ज़िन्दगी को देखने का नजरिया बहुत ही पॉजिटिव होता है. वो अपने जीवन के प्रति आभारी होते हैं और हमेशा खुद के लिए खड़े रहते हैं.
बिलकुल वैसे ही जैसे जब आप किसी से प्यार करते हो तो आप उसकी देख- भाल करते हो, उसके साथ समय बिताना पसंद करते हो, मुश्किल वक़्त में उसे सपोर्ट करते हो, उसकी समस्याओं का हल ढूँढने का प्रयास करते हो. उन्हें अच्छा महसूस करवाने की कोशिश करते हो, उन्हें खुश रखते हो और सबसे महत्वपूर्ण उन्हें कभी भी जानबूझकर कष्ट नहीं पहुंचाते हो, उनकी ज़रूरतों का ख्याल रखते हो. आप उन्हें वो जैसे हैं वैसे अपनाते हो. आप उनकी हर छोटी- बड़ी उपलब्धि का जश्न मानते हो और उनकी सरहना करते हो.
क्या आप खुद से प्यार (self- love) करते हो या खुद से नफरत (self- hurt/ hate) करते हो?
जिन लोगों को अपना जीवन बेकार लगने लगा है, या ऐसा लगता है की वो जीवन में कुछ कर नहीं सकते, जो अपने आप से नफरत करने लगे हैं उनका ये जानना बहुत ज़रूरी है की इस दुनिया में हर किसी के आने का एक उद्देश्य ज़रूर होता है. आपका जन्म सैकड़ों में से हुआ है तो आप यूँही तो नहीं आए होंगे इस दुनिया में.
जो खुद की आलोचना करते रहते हैं वो खुद से कभी खुश नहीं रहते, उन्हें हर वक़्त खुद से कोई न कोई शिकायत रहती हैं. उन्हें दूसरों में अच्छाइयाँ और खुद में बस कमियाँ नज़र आती हैं. ऐसे लोगों के दोस्त भी बहुत कम होते हैं क्योंकि खुद के बारे में बुरा बोल- बोल कर उनकी सोच हर बात को लेकर नकारात्मक होने लगती है.
एक बार खुले मन से खुद को समझने की कोशिश करो, एक बार खुद से प्यार कर के देखो जिन्दगीं आसान हो जाएगी.
आपने खुद के बारे में इतना बुरा बोल कर देख लिया, अब खुद की सराहना कर के भी देख लो की आपको ख़ुशी प्यार कर के मिलती है या नफरत कर के. आपकी पर्सनल या करियर ग्रोथ नकारात्मक विचारों से होती है या सकारात्मक विचारों से. आपको लोग तब सबसे ज्यादा पसंद करते हैं जब आप खुद से नफरत करते हो या तब जब आप खुद से प्यार करते हो.
दोस्तों, सेल्फ लव से आप जो चाहते हो वो हासिल कर सकते हो. खुद से प्यार कर के आपका आत्मविश्वास बढेगा, जिसका बहुत अच्छा असर आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर पड़ेगा. खुद से प्यार करेंगे तो आपका ज़िन्दगी के लिए नज़रिया सकारात्मक होगा, लाइफ में पॉजिटिविटी आएगी तो काम में फोकस भी बढेगा.

लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन के अनुसार आप उन्हीं चीजों और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हो जैसे आप हो. इसको एक उदाहरण से समझते हैं, जब आप गुस्से में होते हो तो आपको हर बात से, हर किसी से परेशानी होने लगती है, वहीँ जब आप बहुत खुश होते हो तो आपको उदास शख्स को भी खुश करने का मन करता है, अपनी ख़ुशी मनाने के लिए पार्टी करने या अपनी मन- पसंद चीज़ें करने का दिल करता है.
अगर आप दुखी रहोगे हर वक़्त तो आप दुःख को ही आकर्षित करोगे और आपको दुखी रहने के बहाने मिलते ही जायेंगे, और सुखी रहोगे तो सुख के. आप जैसा सोचते हो आप वैसा बनते हो. लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं इससे ज्यादा ज़रूरी है की आप खुद के बारे में क्या सोचते हो, कैसा महसूस करते हो.
एक कहावत है ‘जो खुद से प्यार नहीं कर सकता, वो किसी से नहीं कर सकता’. ठीक वैसे ही जैसे जब आप खुद खुश नहीं होते तो आप किसी और को खुश नहीं रख सकते.
एक बार सोच कर देखो एक ऐसे साथी के बारे में जो हर मुश्किल वक़्त में आपका साथ दे, चाहे कोई आपके साथ खड़ा हो न हो पर वो आपके साथ खड़ा रहे. सोच कर अच्छा लगता है न? पर शायद कुछ नामुमकिन सा भी है ये क्योंकि रिश्ता चाहे कितना भी पक्का हो एक न एक दिन उसे दूर जाना ही पड़ता है.
एक आप ही हो जिसका सफ़र आपसे शुरू और आपसे ही खत्म होता है, अपने सफ़र में आप खुद ही खुद के सबसे बड़े और पक्के साथी बन सकते हो बिलकुल वैसे साथी जिसके बारे में आपने अभी कुछ सेकंड पहले सोचा था और जिसके बारे में सोच कर आपको अच्छा लगा था. एक आप ही हो जो हर वक़्त में खुद के साथ रह सकते हो, खुद का साथ दे सकते हो और खुद का सहारा बन सकते हो.
अब सवाल आता है खुद से प्यार कैसे करें?
जब आपको किसी से प्यार होता है तो आपको सबसे पहले उसकी खूबियाँ नज़र आती हैं, आपको महसूस होता है की सामने वाला आपके साथ से खुश है, फिर ऐसे ही जब प्यार बढ़ने लगता है तो आप उस इंसान को उसकी कमियों के साथ स्वीकारने लगते हो, उसकी सराहना करते हो, और ऐसा करते- करते आप उसके सच्चे- पक्के साथी बन जाते हो.
बस आपको भी खुद से प्यार करने की शुरुआत ऐसे ही करनी है अपनी खूबियों को पहचान कर और खुद को अपनी कमियों के साथ अपना कर. आप जानते हो की इस दुनिया में परफेक्ट कोई भी नहीं है.