आदत कैसी भी हो उसे छोड़ पाना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. घर में अगर कोई चाक, मिट्टी, कागज़, स्लेटी, पेंसिल, कच्चे चावल, आदि अखाद्य पदार्थ खाते हुए देख ले तो तुरंत बोल पड़ता है की ये सब मत खाया करो पेट में कीड़े हो जायेंगे, पथरी हो जाएगी ऑपरेशन करवाना पड़ेगा, बहुत दर्द होगा. पर खाने वाले ये सब सुन कर खाना छोड़ देते हैं क्या?
अधिकतर लोग नहीं छोड़ पाते. वजह है इसकी लत, जैसी लत ड्रग्स, शराब या धुम्रपान की लगती है बिलकुल वैसी लत.
चाक, स्लेट-पेंसिल, चिकनी मिट्टी आदि खाना सेहत के लिए कितना हानिकारक है ये सब जानते हैं फिर भी अपने आपको रोक नहीं पाते उसे खाने से. क्या आपने कभी सोचा है क्यों और कैसे उन्हें ऐसी हानिकारक चीज़ों की लत लगी होगी?

चॉक या मिट्टी जैसे अखाद्य पदार्थ खाना शरीर में कैल्शियम, आयरन, जिंक और खून की कमी को दर्शाता है, इसे पाइका/ पिका (PICA) नाम के विकार(disorder) से भी जाना जाता है. पिका एक ऐसा डिसऑर्डर होता है जिसमें इंसान ऐसी चीज़ें खाने लगता है जो खाने के लायक बिलकुल भी नहीं होती और जिसे खाने से उसके शारीर में ज़हर फैलने या खतरनाक पदार्थ जाने का खतरा बना रहता है.
पाइका होने के कई कारण हो सकते हैं. Lifeberries.com के अनुसार पिका से वे लोग भी पीड़ित हो सकते हैं, जिनके साथ बचपन में कोई बुरा हादसा हुआ हो, जैसे-मां का प्यार न मिलना, माता-पिता का अलगाव, उपेक्षा, उत्पीड़न इत्यादि।
मेरे केस में पायका एनीमिया(खून में आयरन की कमी) से जुड़ा हुआ था. मैं चाक, मिट्टी खाती थी और अब भी उसे खाने की भूख मुझे होती हैं मगर अब मैं उसे खाती नहीं हूँ. कारण है उसके खतरनाक प्रभाव जो मैंने अपने शरीर और सेहत में नोटिस किये हैं अक्सर थकान महसूस होना, चक्कर आना, घबराहट, खांसी, स्किन और आँखों का रंग पीला होना, बहुत पानी पीने के बाद भी गला और होंठ सूखे रहना.
कोई भी दर्द और तड़प का जीवन या मौत नहीं चाहेगा, जो जीना चाहता है अपनों के लिए कुछ करना चाहता है वो यूं अपना शरीर बर्बाद करना नहीं चाहेगा.
साल 2012 की बात होगी जब मैंने क्लास में दो लड़कियों को लंच टाइम में चाक खाते देखा था. उनको ऐसा करते देख मुझे बहुत अजीब लगा था और मैं भी उन लोगो में से थी जो कहते थे- ‘छी!!!!!!! ये क्या खा रही है…ये नहीं खाना चाहिए पता नहीं कैसे- कैसे लोगों ने इसे छुआ होगा. यक!’ और फिर पूरे दिन मैं उसी के बारे में सोचती रही. इससे मेरा भी मन कर गया चाक चखने का.

फिर मैंने चाक खरीदी, उस समय रु 1 की 2 चाक आती थी. घर जा कर छुपते- छुपाते मैंने छोटी सी चाक तोड़ कर टेस्ट की और थोड़ी- थोड़ी कर के वो 2 चाक मैंने एक हफ्ते में खा कर खत्म कर दी थी. ऐसे ही चाक खाने की आदत लगी और फिर लत. कुछ समय बाद पेट में दर्द रहने लगा, खांसी होने लगी. डॉक्टर को दिखाया तो पेट में कीड़े थे. डॉक्टर ने कीड़ो के लिए ऐसी दवाई दी की मेरा फिर चाक पर से ध्यान हट गया.
मगर फिर कुछ साल बाद चाक खाने की इच्छा होने लगी. मैंने सोचा की ज्यादा से ज्यादा कीड़े ही तो होंगे. दवाई खा लूंगी निकल जायेंगे. वैसे भी ज़िन्दगी एक ही बार मिलती है उसमे भी अगर अपनी मर्ज़ी का न खाया तो फिर जिंदगी का क्या मज़ा. जो भी होगा मैं परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहूंगी.
ऐसा कर के मैंने पूरे डेढ़ साल लगातार जम कर चाक खायी, फिर परिणाम कुछ ऐसा सामने आया की मेरी ये लत मेरी ज़िन्दगी के सबसे बड़े पछतावे में बदल गई.
उसकी वजह से मुझे पहली बार हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा. ऐसा दर्द होता था की रूह कांप जाती थी. मेरी ये एक गलती सिर्फ मेरे दर्द, हॉस्पिटल में एडमिट होने तक ही सीमित नहीं रही. उस दौरान कॉलेज में एडमिशन की रेस भी चालू थी. महनत करने के बाद अच्छे और मन चाहे कॉलेज में नाम आने के बावजूद कॉलेज अपना एडमिशन कन्फर्म करवाने न जा सकी हॉस्पिटल की वजह से मेरी डेट निकल चुकी थी.
मेरी इस लत की वजह से मुझे बार- बार हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा क्योंकि मैंने अपनी इस लत के बारे में न घरवालों को बताया था और न ही डॉक्टर को जिससे मेरे इलाज में देर होती रही. चाक के डर से मैं हॉस्पिटल जब भी जाती पहले गाइनैकोलोजिस्ट से मिलती, कही न कहीं उसकी वजह से मुझे पीरियड्स में दिक्कतें आने लगी थी और ये लगने लगा था की कही चाक की लालसा मुझे बाँझ न बना दे.

इसी डर से मैंने चाक खाना बंद कर दिया. चाक मेरी ज़िन्दगी में विलन बन चुकी थी और मुझे किसी भी तरह उसके दिए दर्दों से मुक्ति पानी थी मैंने तब से फल खाना शुरू किया, भले ही मुंह बनाते हुए खाए पर खाए. मैं रिस्क नहीं लेना चाहती थी इसलिए कडवे चकुंदर भी खाने शुरू किये.
जब भी चाक खाने का मन करता है मैं चकुंदर को याद करती हूँ, कच्ची चबाने वाली सब्जियां या फल जैसे गाजर, अमरुद, नाशपाती तो कभी बर्फ, नमक जैसी चीज़ें भी मैं खा लेती हूँ पर कभी इनकी अति नहीं होने देती.
अब मैं चाक देखती हूँ तो उसे तुरंत घिस कर खत्म कर देती हूँ जिससे मैं उसे खा न पाऊं.
मैं नहीं चाहती की जो सब मैं और मेरे जैसे चाक के शिकार झेल रहे हैं, वो और लोग भी झेले. हमें ये समझने की बहुत ज्यादा ज़रूरत है की अगर कोई चीज़ खाने के लायक नहीं है तो उसके पीछे वजह है. चाक जैसे अखाद्य पदार्थ खाना स्लो पाइजन(Slow Poison) खाने से कम नहीं है क्योंकि वो आपके शरीर को धीरे- धीरे बेकार करने लगती हैं.
चाक मिट्टी खाने की आदत ऐसे छुड़ाए:

- अपनी डाइट (भोजन) पर ध्यान देना शुरू करें. अपनी डाइट में कैल्शियम, आयरन जैसे पोषक तत्वों को शामिल करें, दूध, अंडा, पनीर, हरी सब्जियां, गुड, ड्राई फ्रूट्स, आदि को शामिल करें.
- चाक मिट्टी की क्रेविंग होने पर कोई फल या कच्ची सब्जी जैसे गाजर, अमरुद, मूली, सेब, आदि को अच्छी तरह से चबा- चबा कर खाएं.
- अपना मन किसी क्रिएटिव काम में लगाये और पानी पीते रहें.
- आप भुने हुए चने, मूंगफली के दाने, मुरमुरे, खीलें, आदि अपने पास रख सकते है ताकि जब भी आपका कुछ खाने का मन हो तब आपके पास खाने के लिए पोषण देने वाली चीज़े मौजूद हों. इससे आपकी हेल्थ में सुधर होगा और आपके शरीर में हानिकारक तत्व भी नहीं जायेंगे.

- अगर आप चाक, मिट्टी, कच्चे चावल आदि अखाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं तो आपको डॉक्टर से ये बात छुपानी नहीं चाहिए. पिका की पहचान के लिए अब तक कोई टेस्ट सामने नहीं आया है इसलिए आपकी भलाई के लिए ये बहुत ज़रूरी है की आप डॉक्टर को सब सच बताये. शरीर में किसी ज़रूरी तत्व की कमी के कारण ऐसी नालायक चीज़े खाने का मन होता है.
- चाक मिट्टी खाने वालों के लिए ये समझना बहुत ज़रूरी है की अगर आप ये सब खाते हो तो इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है की आप अजीब हो. आपको अपने शारीर की देखभाल करने की ज़रूरत है, पिका को समय से ठीक किया जाना बहुत ज़रूरी है इसलिए शर्माए नहीं बल्कि खुद को और दूसरों को इसके बारे में जागरूक करें.
- आप जितना किसी चीज़ के बारे में सोचोगे आपका उतना उसे पाने का मन करेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए आप उन चीजों के बारे में सोचना छोड़ दो जो आपके या आपकी सेहत के लिए सही नही है.
- अगर फिर भी आपका चाक मिट्टी खाने का मन करे तो उसके नुक्सान को याद करो. https://writervohra.com/chalk-khane-se-kya-hota-hai-chalk-khane-ke-nuksan/