हमारी मात्रभाषा हिंदी पर गर्व क्यों न करे?

मातृभाषा हिंदी पर गर्व क्यों न करे?

हिंदी मातृभाषा है हमारी, बचपन से यही तो सुनते- पढ़ते आ रहे हैं . पर कभी इस पर अमल नहीं किया . कभी माँ- बाप की इज्ज़त का ख्याल तो कभी कजिन्स से तुलना की चिंता. इस सब में हमने हिंदी का ध्यान ही नहीं रखा. सदा यही सोचते रहे की कैसे अंग्रेजी में सफलता पायी जाए, कैसे अंग्रेजी तोते की तरह पटर- पटर अंग्रेजी बोल कर रिश्तेदारों और अन्य लोगों को प्रभावित किया जाए.

Hindi Love
Image Source: https://hindi.webdunia.com/hindi-diwas-special/hindi-quotations-for-hindi-language-116091400033_1.html

हिंदी मातृभाषा है हमारी ख्याल रखा करो इसका। हिंदी हमारी मातृभाषा हम हिन्दुस्तानियों का गर्व है। इसके पीछे कितनी लड़ाईयां लड़ी गईं और कितनी लड़ी जा रही हैं इसका शायद ही किसी को ज्ञान हो. भारत एक बड़ा सा सांस्कृतिक देश कहलाता है तब भी न जाने क्यों भारत का ऊपरी भाग नॉर्थ और निचला साउथ इंडिया कहलाता है। क्या तुम्हारी नज़र में यही है मातृभाषा का सम्मान?

हाँ! माना के बचपन में माँ- बाप के दबाव से तो कभी कज़िन्स से तुलना में हम अंग्रेजी के पीछे भागे। कुछ को इस अंग्रेजी ने इज़्ज़त दिलाई तो कुछ के हाथों सिर्फ निराशा आयी।

पर तुम ये बताओ क्या उस समय में भी हिंदी ने तुम्हारा साथ छोड़ा?

नहीं! जब भी अंग्रजी के शब्दों में लड़खड़ाए हिंदी तैयार थी तुम्हरी जुबां संभालने के लिए.

क्यों? क्योंकि हिंदी हमारी मातृभाषा यूं ही नहीं कहलाती है। यह साथ देती है हर हिंदुस्तानी का एक माँ की तरह हमारी बातें समझ जाती है। यूँही नहीं ये हिंदी हमारी मातृभाषा कहलाती है।

दोस्तों मैं रिया वोहरा उन सब में से एक थी जिन्हें अंग्रेजी के पीछे भागा-दौड़ी करने का बहुत शौक था। एग्जाम में भले कम अंक हिंदी में आ जायें कोई दिक्कत नहीं, पर अंग्रेजी में अंक हमेशा हिंदी से ज़्यादा आने चाहिए। अंग्रेजी के पीछे मेरी भागा- दौड़ी ऐसी थी की 11वी में जब भाषा चुनने का समय आया तो हिंदी का दिल में ख्याल भी न आया।

12वी कक्षा में लक बाय चांस अंग्रेजी ने साथ दिया लेकिन ये तो थी बात स्कूल की, असली परीक्षाएं तो तब से शुरू हुई जबसे कॉलेज में दाखिला हुआ. पहली परीक्षा आयी जब घर में मम्मी डैडी के होते हुए लंदन वाले मामा से अंग्रेजी में फ़ोन पर बात करनी पड़ी। उस समय तो मेरी ये खुशनसीबी थी की नेटवर्क का बहाना करके अकेली जगह पर जाने का मौका मुझे मिल गया था और सबसे ख़ास बात ये की मामा मेरे हिंदी को भूले नहीं थे, इसलिए फोन पर वो अंग्रेजी में बात शुरू करे इससे पहले ही मैंने मामा जी नमस्ते बोल कर हिंदी में बात करना चालु कर दिया और इस तरह हमारी पूरी बात अच्छे से हुई वो भी बिना किसी झिझक के. बाद में मम्मी ने बताया की मामा तारीफ कर रहे थे तेरी की लड़की समझदार हो गयी है.

तो इस तरह मेरी पहली परीक्षा पार हुई.

कॉलेज में अंग्रेजी के साथ पकड़ा- पकड़ी खेलते- खेलते जब पहली इंटर्नशिप का समय आया तब दूसरी परीक्षा हुई. तकरीबन 10- 12 अखबारों के दफ्तर के चक्कर काटने के बाद भी जब इंटर्नशिप नहीं लगी तब भय ने मुझे घेरना शुरू किया क्योंकि न तो मेरी अंग्रेजी परफेक्ट थी और न ही हिंदी। उस समय मेरे साथ मेरी एक दोस्त भी थी, अंग्रेजी परफेक्ट उसकी भी नहीं थी और हिंदी से उसका सम्बन्ध भी कुछ मेरे जैसा ही था मगर उसका आत्मविश्वास अडिग था. जिसको देख कर मेरे यकीन का टैंकर फुल रहता था। फिर, मिली न जब कोई इंटर्नशिप बह गया सारा यकीन मेरा गर्मी के पसीने की तरह। पता भी न चला महनत का जब देखा चेहरा हिंदी का। हिंदी ने उस समय मुश्किल से बचने का सुझाव दिया एक सच्चे दोस्त की तरह। फाइल सबमिशन के टाइम पर पकड़ा दामन हिंदी का, बनाया जाली सर्टिफिकेट न की हुई इंटर्नशिप का।

इसके चलते मन में एक दोष भर गया था तो सोचा की अब तो इंटर्नशिप करनी ही पड़ेगी, एसा तो नहीं हो सकता की मैं कुछ भी नहीं कर सकती. इसलिए मैंने कॉलेज के दौरान ही बहुत मेहनत से YouTube और अंग्रेजी की कुछ पुरानी किताबों से खूब तयारी की, दिल्ली के टॉप एडवरटाइजिंग कंपनी में से एक में इंग्लिश कंटेंट राइटिंग इंटर्नशिप के लिए इंटरव्यू दिया और अपनी जगह बनाई. इंटर्नशिप वर्क फ्रॉम होम थी और मेरी पहली थी तो मुझे समय कैसे और कितना देना है यह सब समझ नहीं आता था, शुरू शुरू में जोश भी बहुत था इसलिए बॉस जो कहते वह करती जाती थी. सीखने की धुन भी सवार थी. लेकिन फिर धीरे- धीरे जो गर्व मुझे अपनी अंग्रेजी पर था वो चकनाचूर होता गया. वहां मुझे एहसास हुआ की रिया तुझे तो अंग्रेजी में वाक्य तक बनाने नहीं आते तू राइटर कैसे बनेगी? इसके चलते मैं डिप्रेशन में भी चली गयी थी बहुत स्ट्रेस रहने लगा था. जिसके कारण मेरी दो महीने की इंटर्नशिप ढाई महीने की हो गयी थी लेकिन भगवन की कृपया से मेरा परिवार और मेरे दोस्त मेरे साथ थे और फिर कहते हैं न “जो होता है अच्छे के लिए ही होता है” , उस इंटर्नशिप से मैंने बहुत कुछ सीखा जिसके बारे में कॉलेज के दूसरे साल में हमें पढाया भी गया.

खैर जब 7 महीने बाद तीसरी इंटर्नशिप का समय आया तब मैंने बिना देर किये हिंदी का हाथ थामा, हिंदी में हाथ आजमाने के लिए. हिंदी न्यूज़ चैनल में जहाँ इंटर्न्स भरे पड़े थे वहां हिंदी टाइपिंग सीखना मुश्किल था. लेकिन भाग्य ने साथ दिया और वहां मुझे मिल गयी हिंदी सिखाने वाली भावना, जिसने हिंदी सिखाते-सिखाते हिंदी के प्रति मेरी भावना बदल डाली, सपना बनी एक दोस्त जिसने हिंदी में लेखक बन्ने का सपना मुझे दिखाया जिसको साकार करने मैं अपनी राह पर चल पड़ी या फिर एसा कह सकते हैं की मेरा लेखक बन्ने का सपना पूरा कैसे होगा इसका रास्ता मुझे सपना ने दिखाया. उसके बाद मैंने हिंदी में कई जगह पर काम किया और वहां प्रशंसा मिलने के बाद मुझे ज़िन्दगी में क्या कैसे करना है पता है. हालांकि मेरी हिंदी टाइपिंग अब भी इतनी अच्छी नहीं है, मैं सीखने के लिए बिलकुल तैयार हूँ. हिंदी पर अब मुझे गर्व होता है.

मैंने इस सब से ये सीखा के अपनी पहचान बनाने के लिए भेड़ चाल चलना जरूरी नहीं हैं, आप जिस भाषा में सुखद महसूस करते हैं आपको उस भाषा में संवाद करना चाहिए क्योंकि आपको अपनी भाषा आती है सामने वाले को नहीं तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है. दूसरा अपनी मात्रभाषा पर अगर हर कोई गर्व करता है तो हम तो हिंदी हैं, हिंदी पर ही गर्व न करना तो हिंदी का सबसे बड़ा अपमान है.

हिंदी से मुझे मेरा लक्ष्य मिला इसलिए मुझे अब हिंदी से और हिंदी की महानता से प्यार है.

5/5 - (2 votes)

9 thoughts on “हमारी मात्रभाषा हिंदी पर गर्व क्यों न करे?”

  1. रिया आपने एक बहुत ही एहम विष्य पर पोस्ट अपलोड की है और जिस तरह से आपने अपने विचार प्रकट किए वो‌ भी अद्भुत।
    आपके इस पोस्ट से बहुत लोग जो अपनी ‌‌‌मातृभाषा का प्रयोग करने में हिचकते थे ‌‌‌उन्हें ‌‌‌‌‌‌‌‌‌प्रोत्साहन मिलेगा ।
    जय हिंद जय भारत।।

    1. शुक्रिया अंशिका. मेरे इस पोस्ट से अगर उन लोगों को मदद मिल पाती है तो ये हमारे लिए बहुत अच्छी बात होगी. अपनी मात्रभाषा पर गर्व करना तो हमारा फ़र्ज़ है. इतने अच्छे कमेन्ट के लिए शुक्रिया दिल से. जय हिन्द जय भारत

  2. तुम्हारा किसी भी बात को बतलाने/समझाने का तरीका लाज़वाब होता हैं हमेशा !👌👌👌
    तुम्हारा यह ब्लॉग उन लोगो की बहुत मदद करेगा😂जो अंग्रेजी से डरते भी है,और उसके पीछे भागते भी है 😅

  3. Hope tumhare is blog se Hindi k prati jo log “ghar ki murgi daal barabar” jaisa vyavhaar karte hai, unhe is chizz ka ehsaas hoga aur wo apne is nazariye ko badalne ki or kadam badhayenge!

    Afterall, boond boond se ghat bharta hai! Har chhota prayaas ek bade karya ko poora karne me madad karta hai 🙂

  4. Great post. I was checking continuously this blog and I am impressed! Very helpful info specifically the last part 🙂 I care for such information much. I was looking for this particular info for a very long time. Thank you and good luck.|

  5. Your style is so unique in comparison to other people I’ve read stuff from. I appreciate you for posting when you’ve got the opportunity, Guess I’ll just bookmark this web site.|

  6. Excellent web site you’ve got here.. It’s difficult to find good quality writing like yours these days. I seriously appreciate individuals like you! Take care!!|

Leave a Reply to Riya Vohra Cancel Reply

Your email address will not be published.